तीर्थनगरी ऋषिकेश में आधुनिक शिक्षा के जन्मदाता परमपूज्य महन्त श्री परशुराम जी महाराज ने श्री भरत मंदिर परिसर में सन् 1941-42 में विद्यालय स्थापित किया। यह विद्यालय पूर्व में प्राथमिक रहा तथा कालान्तर में सन् 1943 में श्री भरत मंदिर आंग्ल हिन्दी माध्यमिक विद्यालय के रूप में पंजीकृत कर दिया गया।
परमपूज्य मंहत जी महाराज द्वारा गठित एवं सन् 1943-44 में पंजीकृत श्री भरत मंदिर स्कूल सोसायटी,ऋषिकेश द्वारा संचालित इस विद्यालय को शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 1944 में कक्षा 8 तक स्थायी मान्यता प्रदान की गई तथा महन्त जी महाराज के अथक प्रयासों के फलस्वरूप ही विद्यालय को सन् 1947 में हाईस्कूल एवं सन् 1951 में इण्टरमीडिएट की मान्यता प्राप्त हुई। तब से निरंन्तर यह विद्यालय प्रगति पथ पर अग्रसर है।
विद्यालय में संस्थागत नियोजन एवं शैक्षिक अभिनव के द्वारा चतुर्मुखी विकास किया गया है। इण्टरमीडिएट स्तर, साहित्यिक, वैज्ञानिक, वाणिज्यिक एवं कम्प्यूटर शिक्षा संभव हो पायी है, साथ ही विद्यालय का भवन भव्य बन पाया है। वर्तमान समय में भी विद्यालय में नवीन योजनाओं को आधारभूत करने की दिशा में कई प्रयास किये जा रहे हैं।
विद्यालय भवन तीर्थ नगरी ऋषिकेश में हरिद्वार रोड़ के दक्षिणी पार्श्व में समतल भूमि अवस्थित है, जिस पर इस विद्यालय का उन्नत विशाल भवन निर्मित है। विद्यालय के सामने हिमालय की शिवालिक पर्वत मालाएं विद्यमान हैं जिनके पाद मूल में पतित पावनी मां गंगा प्रवाहित होती है। भवन के पृष्ठ भाग में विशाल क्रीड़ा मैदान है। विद्यालय भवन में 50 कक्ष से अधिक हैं, मध्यान्ह भोजन योजना के संचालन हेतु भी एक पृथक भोजनालय का निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त विद्यालय में छात्र छात्राओं के लिए अलग से पर्याप्त संख्या में शौचालय निर्मित हैं प्रशासनिक भवन - विद्यालय का प्रशासनिक भवन मुख्य विद्यालय भवन से पृथक है जिसमें कार्यालय, प्रधानाचार्य कक्ष तथा अध्यापक कक्ष हैं।
प्रधानाचार्य की कलम से--------
मां गंगा के पावन तट पर अवस्थित हृषीकेश नारायण भगवान भरत जी की कृपा से मुझे दिनांक 01 सितम्बर 2019 से प्रधानाचार्य के पद पर सेवा का अवसर प्राप्त हुआ। हम विद्यालय के बहुमुखी विकास के लिए निरन्तर प्रत्यत्नशील हैं।
मेजर गोविन्द सिंह रावत
प्रधानाचार्य